ख़राब शिक्षा पद्धति के कारण ही हो रहा है समाज का पतन

ख़राब शिक्षा पद्धति के कारण ही हो रहा है समाज का पतन

आज हमारा देश तकनीकी रूप से बहुत स्मार्ट हो रहा है। अनेकों उद्योग धंधों का निर्माण हो रहा है परंतु आजकल के युवाओं में भारतीय मूल्यों पर आधारित चरित्र निर्माण की कमी दिखाई दे रही है। भारतीय शिक्षा के पुनरुत्थान के लिए प्राथमिक उच्च प्राथमिक माध्यमिक व उच्च शिक्षा पद्धति मानवीय मूल्यों पर आधारित बनानी होगी।  
केवल मनुष्य ही धरती पर एक मात्र प्राणी है जिसमें सोचने समझने के बाद कल्पना की स्वतंत्रता निहित है। इसकी वजह से भौतिक रूप से विश्व का बहुत विकास अनेकों क्षेत्र में जैसे विज्ञान, तकनीक, उद्योग, सेवा इत्यादि में तेजी के साथ हुआ है। राष्ट्र के पुनरुत्थान से पहले मनुष्य का मानसिक विकास होना चाहिए। तभी राष्ट्र का विकास संभव है। विश्व में केवल भारतीय दर्शन है जो हमें सिखाता है कि प्रत्येक मनुष्य भगवान का अंश है, इसलिए हर एक मनुष्य को ईश्वर रूप में देखा जाता है। भारतीय शिक्षा पद्धति है जो यह बताती कि हमारे सुखी होने के लिए संपूर्ण समाज का सुखी होना आवश्यक है। समाज में हो रहे पतन का कारण केवल खराब शिक्षा पद्धति है।
 आज  की आवश्यक है कि संस्कार युक्त शिक्षा को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। शिक्षा को संस्कार युक्त बनाया जाना उतना ही जरूरी है जैसे पतंग उड़ाने के लिए पतंग का डोर से बने रहना जरूरी है। वर्तमान युग में पढ़ाने के तौर तरीके व पाठ्यक्रमों में दी जा रही सामग्री में कोई तालमेल नहीं है जिससे समाज में अपेक्षित बदलाव नहीं हो पा रहा है।

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