मार्कण्डेय ऋषि तथा अप्सरा का संवाद




तब मार्कण्डेय ऋषि ने पूछा कि इन्द्र की मृत्यु होगी, तब तू क्या करेगी? उर्वसी ने उत्तर दिया कि मैं 14 इन्द्र भोगूँगी। भावार्थ है कि श्री ब्रह्मा जी के एक दिन में 1008 चतुर्युग होते हैं जिसमें 72.72 चतुर्युग का शासनकाल पूरा करके 14 इन्द्र मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इन्द्र की रानी वाली आत्मा ने किसी मानव जन्म में इतने अत्यधिक पुण्य किए थे। जिस कारण से वह 14 इन्द्रों की पटरानी बनकर स्वर्ग सुख तथा पुरूष सुख को भोगेगी।मार्कण्डेय ऋषि ने कहा कि वे 14 इन्द्र भी मरेंगे, तब तू क्या करेगी? उर्वसी ने कहा कि फिर मैं मृत्य लोक (पृथ्वी लोक को मनुष्य लोक अर्थात् मत्र्यः लोक कहते हैं) में गधी बनाई जाऊँगी और जितने इन्द्र मेरे पति होंगे, वे भी पृथ्वी पर गधे की योनि प्राप्त करेंगे।मार्कण्डेय ऋषि बोले कि फिर मुझे ऐसे लोक में क्यों ले जा रही थी जिसका राजा गधा बनेगा और रानी गधी की योनि प्राप्त करेगी? उर्वसी बोली कि अपनी इज्जत रखने के लिए, नहीं तो वे कहेंगे कि तू हारकर आई है।मार्कण्डेय ऋषि ने कहा कि गधियों की कैसी इज्जत? तवर्तमान में भी गधी है क्योंकि तू चैदह खसम करेगी और मृत्यु उपरांत तू स्वयं स्वीकार रही है कि मैं गधी बनूंगी। गधी की कैसी इज्जत? इतने में वहीं पर इन्द्र आ गया। विधानानुसारअपना इन्द्र का राज्य मार्कण्डेय ऋषि को देने के लिए। कहा कि ऋषि जी हम हारे और आप जीते। आप इन्द्र की पदवी स्वीकार करें। मार्कण्डेय ऋषि बोले अरे-अरे इन्द्र! इन्द्र की पदवी मेरे किसी काम की नहीं। मेरे लिए तो काग (कौवे) की बीट के समान है। मार्कण्डेय ऋषि ने इन्द्र से फिर कहा कि तू मेरे बताए अनुसार साधना कर, तेरे को ब्रह्मलोक ले चलूँगा। इस इन्द्र के राज्य को छोड़ दे। इन्द्र ने कहा कि हे ऋषि जी अब तो मुझे मौज-मस्ती करने दो। फिर कभी देखूंगा।
पाठकजनो! विचार करो:- इन्द्र को पता है कि मृत्यु के उपरांत गधे का जीवन मिलेगा, फिर भी उस क्षणिक सुख को त्यागना नहीं चाहता। कहा कि फिर कभी देखूंगा। फिर कब देखेगा? गधा बनने के पश्चात् तो कुम्हार देखेगा। कितना वजन गधे की कमर पर रखना है? कहाँ-सी डण्डा मारना है? ठीक इसी प्रकार इस पृथ्वी पर कोई छोटे-से टुकड़े का प्रधानमंत्राी, मंत्राी, मुख्यमंत्राी या राज्य में मंत्राी बना है या किसी पद पर सरकारी अधिकारी या कर्मचारी बना है या धनी है। उसको कहा जाता है कि आप भक्ति करो नहीं तो गधे बनोगे। वे या तो नाराज हो जाते हैं। कहते हैं कि हम क्यों बनेंगे गधे? फिर से मत कहना। कुछ सभ्य होते हैं, वे कहते हैं कि किसने देखा है, गधे बनते हैं? फिर उनको बताया जाता है कि सब संत तथा ग्रन्थ बताते हैं। तो अधिकतर कहते हैं कि देखा जाएगा।

उनसे निवेदन है कि मृत्यु के पश्चात् गधा बनने के बाद आप क्या देखोगे, फिर तो कुम्हार देखेगा कि आप जी के साथ कैसा बर्ताव करना है? देखना है तो वर्तमान में देख। बुराई छोड़कर शास्त्रानुकूल साधना करो जो वर्तमान में विश्व में केवल मेरे (रामपाल दास के) पास है। आओ ग्रहण करो और अपने जीव का कल्याण कराओ। 

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